महाराजा अहिबरन
हम बरनवाल हैं , शहर बरन के संस्थापक महाराजा अहिबरन के वंशज। हम " तुला खड्गा च राष्ट्रसेवायां ।" अर्थात राष्ट्र की सेवा में तुला या तलवार जिसकी भी आवश्यकता हो, उठाने में विश्वास करते हैं।
विवरण प्राप्त करेंबरन (बुलंदशहर) नामक नगर का इतिहास एक घनी और प्राचीन कहानी से भरपूर है। स्थानीय इतिहास के अनुसार, इस नगर की स्थापना महाराजा अहिबरन द्वारा की गई थी, जिन्होंने महाभारत युद्ध के बाद हस्तिनापुर के उजड़ जाने के बाद इस स्थान पर नगर बसाया। पंडित ज्वाला प्रसाद शास्त्री के अनुसार, बरन का इतिहास महाभारत के काल में तक पहुंचता है, जब यहां हस्तिनापुर की राजधानी थी। इसके पश्चात्, विभिन्न समयों में इस नगर पर महमूद गजनवी और मुहम्मद तुगलक के हमले हुए, लेकिन बरन के निवासी ने अपने साहस और वीरता से यहां की रक्षा की। बुलंदशहर जनपद के गठन के बाद, यह नगर मुख्यालय बनाया गया, लेकिन उसका प्राचीन नाम बरन रखा गया। आज भी बरनवाल लोग देश भर में विभिन्न राज्यों में बसे हैं और इस स्थान की समृद्ध और विविध सांस्कृतिक विरासत को गर्व से बचाए रखते हैं।
संक्षिप्त विवरणहमारी कुल देवी कर्णवास में स्थित आंखो वाली माता के नाम से प्रसिद्ध चामुंडा माता ही है, बरनवालो के इतिहास में माता का विशेष एवं महत्वपूर्ण स्थान है|
और पढ़ेंवाराणसी में आयोजित श्री भारतवर्षीय बरनवाल वैश्य महासभा, समृद्धि और सांस्कृतिक समृद्धि का प्रतीक है।
उत्तर प्रदेश में आयोजित बरनवाल वैश्य सभा, सामाजिक एकता और सांस्कृतिक विकास के साथ समृद्धि का परिचायक है।
बिहार प्रदेश में आयोजित बरनवाल वैश्य सभा, सामूहिक सामाजिक उन्नति और सांस्कृतिक समृद्धि का साक्षर है।
झारखंड प्रदेश में आयोजित बरनवाल वैश्य सभा, सामाजिक समृद्धि और सांस्कृतिक एकता का संगणक है।
पश्चिम बंगाल में आयोजित बरनवाल वैश्य सभा, सामाजिक संबंध और सांस्कृतिक समृद्धि के लिए एक गुरुत्वाकर्षण स्थल है।
दिल्ली में आयोजित बरनवाल वैश्य सभा, सामाजिक समृद्धि और सांस्कृतिक एकता का साक्षर है।
छत्तीसगढ़ में आयोजित बरनवाल वैश्य सभा, सामाजिक संबंध और सांस्कृतिक समृद्धि के लिए एक महत्वपूर्ण समारोह है।
महाराष्ट्र में बसी बरनवाल वैश्य सभा, समृद्धि और सांस्कृतिक विकास के क्षेत्र में अपने सदस्यों को जोड़ने वाला एक साकारात्मक मंच है।
गुजरात में स्थित बरनवाल वैश्य सभा, सामाजिक समृद्धि और सांस्कृतिक सहयोग के लिए एक अग्रणी संगठन है।
कर्नाटक में स्थित बरनवाल वैश्य सभा, सामाजिक साक्षरता और सांस्कृतिक समृद्धि के लिए एक प्रमुख संगठन है।
आंध्र प्रदेश में स्थित बरनवाल वैश्य सभा, सामाजिक समृद्धि और सांस्कृतिक एकता के लिए एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक संगठन है।
इस आयोजन से नहीं सिर्फ केवल एक कार्यक्रम, बल्कि सभी बरन वालों को एक सूत्र में बांधने की शुरुआत हो रही है, जिससे हमारी पहचान मजबूत हो और हम अपने इतिहास को बचाएं।
बरनवाल समुदाय ने इतिहास में अपने योगदान के माध्यम से भी अपनी पहचान बनाई है। महाराजा अहिबरन के वंशज के रूप में समुदाय ने गर्व से अपने इतिहास को बचाए और आगे बढ़ने के लिए एक सूत्र में बाँधा है। उनके उत्साही प्रयासों ने समुदाय को सशक्त और समर्थ बनाए रखा है।
और पढ़ेंबरनवाल समुदाय ने अपने सदस्यों के सजग और सक्रिय सहयोग से सेवा, खेल, विज्ञान, सामाजिक, और अन्य क्षेत्रों में सर्वप्रथम चयनित होकर समाज को गौरवान्वित किया है। सदस्य ने समुदाय के लाभ में कई उदाहरणपूर्वक परियोजनाएं चलाई हैं, जिनमें शिक्षा, स्वास्थ्य, और पर्यावरण के क्षेत्र में सुधार शामिल है।
और पढ़ेंबरनवाल इतिहास परियोजना" एक महत्वपूर्ण पहल है जो बरनवाल समुदाय के इतिहास को सुरक्षित रखने और सजीव करने का प्रयास कर रही है। इस परियोजना के तहत, हम बरनवाल समुदाय के विभिन्न पहलुओं, ऐतिहासिक घटनाओं, और महत्वपूर्ण व्यक्तियों के बारे में जानकारी जुटा रहे हैं।
और पढ़ें"बरनवाल और 1857 की क्रांति" परियोजना एक उपयुक्त अध्ययन है जो बरनवाल समुदाय के सदस्यों को उनके अद्वितीय इतिहास की समझ के लिए प्रेरित करने का उद्देश्य रखता है। इस परियोजना में हम बरनवाल समुदाय के संबंध में 1857 की क्रांति के समय के घटनाओं का विस्तृत अध्ययन कर रहे हैं। इस समय के सामाजिक, राजनीतिक, और सांस्कृतिक परिवर्तनों का सामना कैसे किया |
और पढ़ेंहोली मिलन समारोह, सिर्फ एक आयोजन नहीं, बल्कि एक सामूहिक समर्पण का प्रतीक है। इस मौके पर हम सभी मिलकर रंग-बिरंगे रंगों में डूबते हैं, एक-दूसरे के साथ जुड़कर, साजगों से जीवन को रंगीन बनाने का उत्साह भी बाँटते हैं
और पढ़ेंमहाराजा अहिबरन जन्मोत्सव, 2023 ( बरन) सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं है बल्की सभी बरन वालों को एक सूत्र में बांधने की शुरुआत है, अपनी पहचान को मजबूत करने और इतिहास को बचाने की मुहिम है।
और पढ़ेंपताका प्रतियोगिता का आयोजन अगस्त माह में किया गया था, जिसमे प्रविष्टियां भेजने की अंतिम तारीख 31 अगस्त थी। जिसकी घोषणा सोशल मीडिया माध्यम से जोरो शोरो से की गई थी और हमारे बंधुओ ने भी इसमें बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया,
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